नई दिल्ली: पिता के प्यार का नवयुवकों पर खास असर हो सकता है। यह जहां किशोर बेटी में गणित की कुशलता बढ़ाता है, वहीं बेटे का भाषा कौशल सुधारने में अहम हो सकता है। यह दावा एक नए अध्ययन में किया गया है। अध्ययन के अनुसार, कम आय वाले परिवारों में पिता का सहयोग किशोरों में आशा, आत्म-बल बढ़ाता है और अंतत: यह विद्यालयों में बच्चों के अच्छे प्रदर्शन में मददगार होता है। यह बात कम शिक्षित या अंग्रेजी में बहुत सक्षम नहीं होने वाले पुरुषों पर भी लागू होता है, जो अपने बच्चों को गृहकार्य में पूरी सहायता नहीं दे पाते।
अमेरिका के टेक्सास विश्वविद्यालय की अध्ययनकर्ता मैरी-एन्नी सुइजो ने बताया, “कम आय वाले परिवारों के पिता अपने किशोर बच्चों के विश्वास को गहरे ढंग से प्रभावित करते हैं और उनके भविष्य पर असर डालते हैं। ये विश्वास उनके संकल्प में वृद्धि कर उनकी उपलब्धि को प्रभावित करते हैं।” अध्ययन के अनुसार, यह सकारात्मक प्रभाव बेटे और बेटी दोनों पर अलग-अलग तरीके से पड़ता है। पिता के सहयोग से बेटी में उम्मीद व आशावादिता बढ़ती है और उसका विश्वास मजबूत होता है, जिसका असर उसकी अकादमिक क्षमताओं पर भी पड़ता है और अंतत: यह गणित के बेहतर ग्रेड लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पिता के सहयोग और किशोर लड़कों की शैक्षणिक सफलता में भी सीधा संबंध पाया गया है। शोधकर्ताओं के अनुसार, पिता के सहयोग से किशोर लड़कों में विश्वास बढ़ता है, जिसका असर उसके शैक्षणिक प्रदर्शन पर पड़ता है। इससे अंग्रेजी भाषा व कला में उसकी पकड़ मजबूत होती है और विषयों में कक्षा में उसका प्रदर्शन भी सुधरता है। सुईजो के मुताबिक, काउंसलरों और शिक्षाविदों को चाहिए कि वे पिता को अपने बच्चों के साथ गर्मजोशी के साथ संवाद करने और उन्हें सहयोग देने के लिए प्रेरित करें, क्योंकि यह भावनात्मक रूप से उनके हित में है और अंतत: इसका सकारात्मक असर होता है। यह अध्ययन पत्रिका ‘सेक्स रोल्स’ में प्रकाशित किया गया है। इसमें कम आय वाले अल्पसंख्यक परिवार से ताल्लुक रखने वाले छठी कक्षा के 183 छात्रों का विश्लेषण किया गया।