चयापचयी विकारों के कारण मधुमेह जैसा रोग होता है.जिसके कारण शरीर के इन्सुलन की पैदा करनेवाले क्षमता को प्रभावित करता है.लेकिन मधुमेह आहार में नियंत्रण और कुछ घरेलु नुक्सो  निपटाया जा सकता है.मधुमेह के कारण इन्सुलिन का उपयों होनेवाली क्षमता भी काम होती है.तेजी से बदल रहे परिवेश और रहन सहन के चलते मधुमेह की मरीजों की संख्या का इजाफा किया है.

१.तुलसी के पत्ते: तुलसी के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होता है साथ ही बाकि जरूरे तत्व भी मौजूद होते है.जिसके कारण इजिनॉल, मेथिल इजिनॉल और कैरियोफ़ैलिन बनने में मदद होती है.इन सारे तत्वों के मिलने के बाद इन्सुलिन जमा करनेवाली और छोड़नेवाली कोशिकाओं को ठीक करने में मदद होती है. रोज खाली पेट तुलसी के दो से तीन पत्ते खाने पर शुगर का स्तर काम रहने में मदद होती है.ज्यूस करके भी इसका सेवन किया जा सकता है.

२.गेंहू के जवारे : गेंहू के पौधों में रोगनाशक गन होने के कारण इसके लिए काफी मदद हो जाती है.गेंहू के छोटे छोटे पौधे के रस से असाध्य बीमारियों को मिटाया जा सकता है.इसके रस को ग्रीन ब्लड भी कहा जाता है.दिन में इसका आधा कप ताजा रस पिने से डायबेटिज़ कम होने में मदद होती है.

३.मेथी: मेथीदाने का प्रयोग डायबेटिज़ के लिए लाभकारी होता है. इसके कारण दवा कम्पनिया मेथी के पाउडर को बाजार में लाई है.सुबह उठकर खाली पेट मेथी दानों का दो टी स्पून चूर्ण पानी के साथ फंकी कर लेने से फायदा होता है.लेने के बाद कुछ दिनों में इसका लाभ देखने को मिलेगा।

४.अलसी के बीज: फायबर प्रचार मात्रा में अलसी के बीज में मिलता है.जिसके कारण पाचन में मदद मिलती है.इसके अलावा फैट और शुगर  मदद होने में मदद होती है.अलसी के बीजों के आते के सेवन के कारण मधुमेह मरीजों की मात्रा लगभग २८ प्रतिशत कम हो जाती है.

५.दालचीनी: दालचीन इन्सुलिन की सवेंदनशीलता को ठीक करता है.इसके साथ ब्लड ग्लूकोस कम करने में मदद होती है.रोज आधा चम्मच दालचीनी लेने से इन्सुलिन के प्रति सवेंदनशीलता को कम किया जा सकता है.

६.ग्रीन टी: ग्रीन टी में पॉलिफोलिन्स होने के कारण यह बहुत उपयोगी होती है.पॉलिफोलिन्स एक मजबूत एंटी ऑक्सीडेंट होता है.इसमें हाइपो ग्लाइसेमिक तत्व होते है.इससे ब्लड शुगर में कम होने में सहायता मिलती है.जिसके कारण इन्सुलिन का बेहतर ढंग से इस्तेमाल होता है.

७.नीलबदरी के पत्ते:सदियों से आयुर्वेदिक में नीलबदरी के पत्तियों का इस्तेमाल होता आ रहा है. जर्नल ऑफ न्यूट्रीशन के अनुसार इसकी पत्तियों में एंथोसियानीडीनस की मात्रा मिलती है जो चयापचय की प्रक्रिया और ग्लूकोस को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाने की प्रक्रिया को अच्छा करता है.

 

८.सहजन के पत्ते: सहजन के पत्तों को मोरिंगा भी कहा जाता है.इन पत्तों में दूध की तुलना से चार गुना अधिक कैल्शियम और दो गुना अधिक प्रोटीन मिलता है.इन पत्तों के सेवन से भोजन के पाचन को बेहतर और रक्तचाप को कम करने में मदद होती है.

Scroll to Top