जून 2020 की पहली तारीख देश के छोटे-बड़े रेस्टोरेंट, ढाबा और होटलों के लिए राहत भरी खबर लेकर आई है। तेल कंपनियों ने कमर्शियल एलपीजी गैस सिलेंडर के दाम में 24 रुपये की कटौती की है।
अब दिल्ली में 19 किलो वाला कमर्शियल सिलेंडर 1,723.50 रुपये में मिलेगा। ये नई कीमतें 1 जून से लागू होंगी।यह लगातार दूसरा महीना है जब कमर्शियल सिलेंडर के दाम में कटौती की गई है।
मई की शुरुआत में भी कंपनियों ने 14.50 रुपये प्रति सिलेंडर की कीमत घटाई थी। इसका सीधा असर होटल, रेस्टोरेंट और फूड इंडस्ट्री जैसी सेवाओं पर पड़ेगा, जहां इस गैस का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है।
एविएशन सेक्टर को भी राहत
केवल कमर्शियल गैस ही नहीं, बल्कि हवाई उड़ानों में इस्तेमाल होने वाला एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) भी सस्ता हो गया है।
इसकी कीमत में 4.4 फीसदी यानी 3,954.38 रुपये प्रति किलोलीटर की कटौती की गई है। अब एटीएफ की नई कीमत 85,486.80 रुपये प्रति किलोलीटर हो गई है।
एयर इंडिया और इंडिगो जैसी एयरलाइंस के लिए यह बड़ी राहत है, क्योंकि उनके खर्च का 30 फीसदी हिस्सा ईंधन पर खर्च होता है। एटीएफ की कीमतों में यह लगातार तीसरी कटौती है।
इससे पहले 1 अप्रैल को 5,870 रुपये प्रति किलोलीटर की बड़ी गिरावट देखी गई थी। इससे पहले साल की शुरुआत में ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन अब ये लगातार कटौती उन्हें संतुलित कर रही है।
इन सभी कटौतियों के पीछे सबसे बड़ी वजह वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 63 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गई है, जो अप्रैल 2021 के बाद सबसे कम है।
आईएएनएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादक देश सऊदी अरब ने संकेत दिया है कि वह आगे और कटौती नहीं करेगा और कम कीमतों के लंबे दौर के लिए तैयार है।
इससे ओपेक की ताकत भी कमजोर हो सकती है। भारत अपनी जरूरत का करीब 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। ऐसे में जब वैश्विक तेल की कीमतें गिरती हैं तो भारत का आयात बिल कम हो जाता है।
इससे चालू खाता घाटा कम होता है और रुपया मजबूत होता है। इतना ही नहीं, तेल की कीमतों में गिरावट की वजह से पेट्रोल, डीजल और एटीएफ जैसी चीजों की घरेलू कीमतें भी कम होने लगती हैं, जिससे महंगाई पर भी लगाम लगती है।
आम जनता पर असर नहीं
हाल ही में सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी लगाई थी। लेकिन इससे आम आदमी को झटका नहीं लगा,
क्योंकि सरकारी तेल कंपनियों इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने इसे खुद वहन करने का फैसला किया है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की गिरती कीमतों की वजह से कंपनियां यह बोझ उठा सकती हैं।